The mind of the noble
Published on 9 January 2020 08:03 AM
सम्पत्तौ कोमलं चित्तं साधोरापदि कर्कशम् ।
सुकुमारं मधौ पत्रं तरोः स्यात् कर्कशं शुचौ ॥
--दृष्टान्तकलिकाशतकम्
सम्पत्तौ कोमलं चित्तं साधोः आपदि कर्कशम् । सुकुमारं मधौ पत्रं तरोः स्यात् कर्कशं शुचौ ॥
साधोः चित्तं सम्पत्तौ कोमलं, आपदि (तु) कर्कशम् । तरोः पत्रं मधौ सुकुमारं, शुचौ (तु) कर्कशं स्यात् ॥
सज्जन का मन संपत्ति रहने पर मृदु होता है, और विपत् में दृढ रहता है। (जिस प्रकार) पेड का पत्ता वसंत ऋतु में कोमल एवं गर्मी में कठिन होता है।
The mind of the noble is soft while in plentitude; and strong in adversity. The tree leaf is tender during spring and hard during summer.
सुकुमारं मधौ पत्रं तरोः स्यात् कर्कशं शुचौ ॥
--दृष्टान्तकलिकाशतकम्
सम्पत्तौ कोमलं चित्तं साधोः आपदि कर्कशम् । सुकुमारं मधौ पत्रं तरोः स्यात् कर्कशं शुचौ ॥
साधोः चित्तं सम्पत्तौ कोमलं, आपदि (तु) कर्कशम् । तरोः पत्रं मधौ सुकुमारं, शुचौ (तु) कर्कशं स्यात् ॥
सज्जन का मन संपत्ति रहने पर मृदु होता है, और विपत् में दृढ रहता है। (जिस प्रकार) पेड का पत्ता वसंत ऋतु में कोमल एवं गर्मी में कठिन होता है।
The mind of the noble is soft while in plentitude; and strong in adversity. The tree leaf is tender during spring and hard during summer.
