Pouring dirt of jealousy

Published on 9 January 2020 07:52 AM
पाण्डित्यं यन्मदान्धानां परोत्कर्षविनाशनम् ।

मात्सर्यपांसुपूरेण मातङ्गस्नानमेव तत् ॥

--चतुर्वर्गसङ्ग्रहः १.६

पाण्डित्यं यत् मद-अन्धानां परोत्कर्ष-विनाशनम् । मात्सर्य-पांसु-पूरेण मातङ्ग-स्नानम् एव तत् ॥

मदान्धानां पाण्डित्यं यत् परोत्कर्ष-विनाशनं भवति, तत् मात्सर्य-पांसु-पूरेण मातङ्ग-स्नानम् एव (भवति)॥

गर्व से अंधे लोगों का ज्ञान, जो दूसरों की प्रगति का विनाशक है, वह हाथी के स्नान के बाद (अपने ऊपर) ईर्ष्या के कीचड़ डालने के समान होता है।

The scholarship of the arrogant which kills the others’ excellence is like the elephant bath followed by pouring dirt of jealousy (upon itself).